श्री कृष्ण भगवान के 21 तथ्य जिनसे आप अनजान हैं | 21 Facts About Lord Krishna You Never Know Before

श्री कृष्ण भगवान के 21 तथ्य जिनसे आप अनजान हैं 


श्रीकृष्ण हिंदू धर्मं में भगवान श्रीहरी विष्णु के अवतार थे | द्वापरयुग में धर्म कि हानि को रोकने के लिए भगवान विष्णु ने धरती पर श्रीकृष्ण के रूप मानव जाती का उद्धार करने के लिए जन्म लिया था | श्रीकृष्ण का जन्म कंस के कारावास मथुरा में हुआ था | उनको जन्म देने वाली माता का नाम देवकी तथा पिता का नाम वसुदेव था | 


जानिए कृष्ण से जुडी कुछ अनोखी बातें 


1. श्रीकृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में हुआ था | वह मात देवकी और वदुसेव कि आठवी संतान थे | जिन्हें वसुदेव रात में कंस के कारावास मथुरा से गोकुल नन्द के यहाँ  छोड़ आये थे |

वसुदेव श्रीकृष्ण के जन्म पर उन्हें मथुरा ले जाते हुए



2. श्रीकृष्ण भगवान अपने गुरु ऋषि संदिपानी को गुरुदक्षिना के रूप में उनके मृत्य बेटे को जीवन दान दिया था |
श्री कृष्ण भगवान के 21 तथ्य जिनसे आप अनजान हैं


3. श्रीकृष्ण ने बचपन में पुतना , त्रिनिवत्र जैसे राक्षसों को 3 वर्ष से भी कम आयु में मृत्यु के घाट उतार दिया जो कंस ने कृष्ण का वध करने के लिए भेजे थे |
श्री कृष्ण भगवान के 21 तथ्य जिनसे आप अनजान हैं


4. कंस अपने पूर्व जन्म में कालनेमी था , जिसका वध श्रीविष्णु ने किया था | देवकी के पहले छः पुत्र पिछले जनम में कालनेमी पुत्र थे | हृन्याकश्याप ने उन्हें श्राप दिया था , कि उनकी मर्त्यु उनके पिता के हाथो से होगी | इसलिए कंस ने देवकी के पहले छः बच्चों का वध कर दिया था |
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5. गांधारी ने श्रीकृष्ण को श्राप दिया था | लेकिन आप जानते हैं कि इसके दो कारण थे | श्रीकृष्ण ने अपने पूर्व अवतार श्री राम के रूप में बाली का वध किया था | तब उन्होंने बाली कि पत्नी तारा को वचन दिया था , कि बाली अपने अगले जन्म में अपनी मृत्यु का बदला लेने में सफल होगा | बाली ने जरा शिकारी के रूप में जन्म लिया और वह भगवान श्रीकृष्ण कि मृत्यु का कारण बना था |
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6. श्रीकृष्ण की 16,108 पत्नीयां थी | जिनमे से केवल 8 उनकी राजसी पत्नीयां थी , जो असठ्भार्या या पटरानी के नाम से जानी जाती थी | कृष्ण की पटरानीयो के नाम रुक्मणि , सत्यभामा , जाम्बवती , नाग्नजिती , कालिंदी , मित्रविन्दा , भद्रा , लक्ष्मणा थे | रुक्मणि को माता लक्ष्मी का अवतार माना जाता है , जो यश और वैभव की देवी हैं | रुक्मणि  ने भगवान श्रीकृष्ण को पत्र के द्वारा शादी का प्रस्ताव भेजा था और स्वयं का अपहरण करने का निवेदन किया था | इसलिए कृष्ण ने रुक्मणि का अपहरण किया था |

7. श्रीकृष्ण की सभी पत्नीयां में से सत्यभामा को बहुत अभिमान था , और वह रुक्मणि  से ईष्या करती थी | तब उनके बिच तुलादान की स्पर्दा हुई | सत्यभामा ने अपनी पूरी संपत्ति को तराजू में रख दिया था | फिर भी श्रीकृष्ण पलड़ा हिला भी नहीं था , किन्तु रुक्मणि  ने प्रेम से तुलसी का एक पत्ता रखा तो पलड़ा पूरा ऊपर हो गया था जिसपर भगवान बेठे थे |
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8. श्रीकृष्ण को आठ पुत्र उनकी आठ पटरानियो से हुए | बाकी सभी रानियों के दस -दस पुत्र हुए | प्रदयुमन रुक्मणि  का बेटा था | साम्भा जाम्बवती के पुत्र थे , जिनको ऋषियों के द्वारा श्राप मिला था | साम्भा बाद में पूरे यदू वंश के अंत का कारण बने थे |

9. श्रीकृष्ण ने पुत्र प्राप्त करने के लिए भगवान शिव की तपस्या की , वह भगवान शिव जैसा पुत्र चाहते थे |

10. श्रीकृष्ण की बहन सुभद्रा की माता रोहिणी तथा पिता वसुदेव थे |  बलराम सुभद्रा का विवाह दुरुयोधन से करवाना चाहते थे | इसलिए श्रीकृष्ण ने अर्जुन को सुभद्रा का अपहरण करने को बोला था | श्रीकृष्ण ने सुभद्रा को रथ को चलाने की सलाह दी थे , जिससे वास्तव में इसको कोई अपहरण न कहे | बाद में अर्जुन और सुभद्रा की शादी इन्द्रप्रस्थ में हुए थी |

11. एक्लव्य वास्तव में श्रीकृष्ण का चचेरा भाई था | एक्लव्य देवाश्रवा का पुत्र था जो की वासुदेव के भाई थे | वह जंगल में खो गए थे और निषाद हिरान्याधानू को मिले थे | एक्लव्य अपने पिता देवाश्रावा की रुक्मणि  के स्वंवर में रक्षा करते हुए श्रीकृष्ण के हाथो मृत्यु को प्राप्त हो गया | एक्लव्य के गुरुदक्षिना के बलदान भाव को देखकर भगवान कृष्ण ने उसको आशीर्वाद दिया था की अगले जन्म में वह गुरु द्रोण से बदला लेने में सक्षम होगा |

12. श्रीकृष्ण को समजना सबसे कठिन कार्य है | एक बार कृष्ण ने अर्जुन से युध करना आरम्भ कर दिया था | भगवान शिव ने उनका युद्ध रोक दिया और भगवान श्रीकृष्ण से पूछा की आप क्या कर रहे हैं ? कृष्ण ने सहजता से जवाब दिया की वह अर्जुन की परीक्षा ले रहे हैं |

13. जब कृष्ण रणभूमि में गीता का ज्ञान दे रहे थे , तब अर्जुन अकेले सुनने वाले नहीं थे | अर्जुन के साथ हनुमान और संजय भी थे | हनुमान अर्जुन के रथ के ऊपर महाभारत के आरम्भ से अंत तक विराजमान थे | संजय को श्री वेदव्यास ने आशीर्वाद के रूप में दिव्या ज्योति प्रदान की थी | जिससे वह महाभारत में घटने वाली घटनाओ का धीतिरास्ट्र को आँखों देखा हाल बता सकें |

14. श्रीकृष्ण का पुत्र प्रद्युमन कामदेव था , जो भगवान शिव ने तपस्या भंग होने पर अपने त्रिनेत्र से भस्म कर दिया था | प्रद्युमन  का जन्म लेने के पश्च्यात सम्बरासुर द्वारा अपहरण कर लिया गया था और उसको समुद्र में फेक दिया था | प्रद्युमन को समुद्र के अंदर एक मछली ने ने निगल लिया था | जब सम्बरासुर के रसोई में मछली के पेट से प्रद्युमन जीवित बाहर निकले तो मायावती ने उनकी देखभाल की थे | मायावती देवी रति का अवतार थीं | मायावती ने प्रद्युमन को बताया की कैसे सम्बरासुर ने उसे मारने की कोशिश की थी |

15. पांडव श्रीकृष्ण के सम्बन्धी थे , पांडवो की माता कुंती श्रीकृष्ण के पिता वसुदेव की बहन थी |

16. श्रीकृष्ण का सबसे प्रभावशाली हथियार उनका सुदर्शन चक्र था  | जो प्रमुख रूप से शिशुपाल के वध में स्तामल हुआ तथा महाभारत के युद्ध में सूर्य को छुपाने का कार्य किया थ ,  जिसके कारण जयद्रथ का अर्जुन ने वध किया था |

17. श्रीकृष्ण से युद्ध करने के लिए जरासंत ने कालयवन नाम के राक्षस को भेजा था | श्रीकृष्ण को पता था की कालयवन का कैसे वध किया जाये इसलिए वह एक घुफा में जाकर पत्थर के पीछे चुप गए | घुफा में मुचकुन्द सोया हुआ था | मुचकुन्द को वरदान था , जिसको भी वह जागने के बाद देखेंगा वो भस्म हो जायेगा | कालयवन जैसे ही घुफा में घुसा मुचकुन्द की नज़र उसपर पड़ी और वह भस्म हो गया |

18. श्रीकृष्ण पहले व्यक्ति थे जिसने कारण को उसके जन्म का सत्य बताया था | श्रीकृष्ण ने कारण को अपने भाइयो से युद्ध न करने की सलाह दी थी , किन्तु कारण ने विनम्रता से उन्हें मना कर दिया और साथ में यह भी कहा की वह इस सत्य को पांडवो को न बताएं |

19. जब श्रीकृष्ण पांडवो की तरफ से हस्तिनापुर में कोरवों के पास युद्ध को रोकने के लिए शान्ति दूत बनकर गए | वहां दुरुयोधन ने उन्हें बंदी बनाने का प्रयास किया , तब कृष्ण ने अपने वास्तविक रूप में आ गए | जो अभिमानी और घमंडी व्यक्ति थे उनकी आँखें कृष्ण के वास्तविक रूप के तेज से बंद हो गयी | जो सज्जन , दयालु और पुण्यात्मा थे उन्होंने कृष्ण भगवान के वास्तविक रूप के दर्शन किये |


20. श्रीकृष्ण और बलराम ने जरासंथ को 17 बार हराया था | जरासंथ श्रीकृष्ण को अपना परम शत्रु समजता था , इसलिए जरासंथ कृष्ण से युद्ध करने के लिए अवसर देखता था | अपनी प्रजा को युद्ध से बचाने और उनको बेहतर , खुशहाल जिंदगी देने के लिए श्रीकृष्ण मथुरा से अपनी प्रजा को लेकर द्वारिका चले गए |

21. ऋषि दुर्वासा ने कृष्ण को भी श्राप से अछुता नहीं छोरा था | दुर्वासा ऋषि एक दिन खीर खा रहे थे , श्रीकृष्ण भी वह उपस्थित थे | दुर्वासा ऋषि ने कृष्ण को खीर को अपने शारीर से लगाने की आज्ञा दी | कृष्ण ने खीर को अपने पूरे शारीर से लगा लिया सिर्फ बाएं पैर को छोड़ कर , कृष्ण ने सोचा की ऋषि इस बात पर ध्यान नहीं देंगे | किन्तु ऋषि इस बात से क्रोधित हो गए और श्रीकृष्ण को श्राप दिया की बाएं पैर दुर्लब हो जायेगा | जिससे बाद में श्री कृष्ण के बाएं पैर में तीर लगने से उनकी मृत्यु होती है |

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